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भोजपुर में थाईलैंड प्रजाति का थाई बारहमासी मीठा आम का पेड़ आरा नर्सरी में मिल रहा है. यह पेड़ साल में तीन बार फल देता है और पांच साल बाद 50 किलो से अधिक आम की फसल देता है.
आम के है शौकीन तो लगाए ‘ऑल टाइम मांगो’ एक फल पकेगा वैसे ही दूसरी जगह मंजर आना हो
हाइलाइट्स
- थाई बारहमासी आम का पेड़ साल में तीन बार फल देता है.
- पांच साल बाद पेड़ से 50 किलो से अधिक आम मिलते हैं.
- दोमट मिट्टी में आम की उपज सबसे अच्छी होती है.
भोजपुर: इस आम के पेड़ से आप साल में तीन बार पैदावार ले सकते हैं. आम के शौकीन साल भर इस फल का स्वाद चख सकेंगे थाईलैंड प्रजाति का थाई बारहमासी मीठा आम का पेड़ आरा के एक नर्सरी में मिल रहा है. आम की इस किस्म की खास बात ये है कि इसके पेड़ पर दो साल से ही फल आने शुरू हो वर्ष में इस आम की प्रजाति में तीन बार फल आएगा. पांच साल बाद आम के पौधे से साल भर में 50 किलो से अधिक आम की फसल को ले सकते हैं.
ये आम सभी प्रकार की मिट्टी में पैदा किया जा सकता है यदि इनमें पानी का निकास अच्छा हो.परन्तु सबसे उपयुक्त मिट्टी गहरी दुमट है जिसमें पानी का निकास अच्छा हो और पी.एच. मान 5.5 से 7.5 तक हो. कंकरीली, पथरीली, छिछली तथा अधिक क्षारीय मिट्टी में आम की बागवानी सफल सिद्ध नहीं होती और बहुत कम उपज मिलती है.
दोमट मिट्टी है सबसे कारगर
किसान नर्सरी के संचालक मुना बाबा के द्वारा बताया गया कि बाग़ लगाने के लिए पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लें एवं पाटा चलाकर समतल कर लें. अब वृक्ष लगाने की जगह की चिन्हित कर लें.सदैव आम की अच्छी किस्मों के कलमी पौधे लगाये. पौधा लगाने के बाद उसमें निरंतर पानी डालते रहे बीच-बीच मे कंपोस्ट डालना भी अनिवार्य होगा. मुन्ना बाबा के द्वारा बताया गया कि दोमट मिट्टी में अगर इसको लगाया जाए तो बहुत ही अच्छा उपज होगा. नॉर्मल मिट्टी में भी उपज होगा, लेकिन दोमट मिट्टी में ज्यादा फल मिलेगा.
200 से 300 में मिल जाएगा पौधा
उन्होंने बताया कि अगर एक बार इस पौधा को लगा देते हैं तो यह हर महीने आपको आम खिलता रहेगा. एक फल पकेगा वैसे ही दूसरे जगह मंजर आना शुरू हो जाएगा. हालांकि बाजार में इस पौधे की कीमत ज्यादा है.आम पेड़ के पौधे जहां 200 या 300 मिल जाते हैं. वहीं इसकी कीमत 1100 है.संचालक के द्वारा यह भी दावा किया गया है की जो भोजपुर जिला का लंगड़ा आम प्रसिद्ध है उससे भी बेहतर इसका स्वाद होता है. अभी जिले में इस पौधे की लगाने की किस शुरुआत कर चुके हैं और किसान नर्सरी से ही पौधा किसान लेकर जा रहे हैं.