मांझी ने लालू नहीं, तेजस्वी को क्यों बताया ‘फसाद की असली जड़’… क्या 2020 के चुनाव से कनेक्शन तो नहीं?

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पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. इस बीच हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार पर तीखा हमला बोला है. मांझी ने कहा है, ‘घोटाला करें गली-गली, खुद को बताएं बजरंगबली’.  मांझी ने इसके साथ ही तेजस्वी यादव को ‘फसाद की असली जड़’ बताकर राजनीति में और गर्मी ला दी है. राजनीतिक विश्लेषक मांझी के इस बयान के मायने निकाल रहे हैं. दरअसल, साल 2020 के विधानसभा चुनाव में एक समय ऐसा आया था जब जीतन राम मांझी का मोबाइल और टेलीफोन सब बंद हो गया था. उस समय बिहार के सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हो गई थी कि आरजेडी के संपर्क में जीतन राम मांझी हैं. हालांकि, बाद में वह खुद सामने आकर एनडीए के साथ रहने का भरोसा दिया था.

जीतन राम मांझी कभी आरजेडी के सहयोगी रहे हैं. पहली बार मंत्री भी लालू यादव के राज में ही बने थे. लेकिन 2014 में नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बिहार के मुख्यमंत्री बने और अब एनडीए के साथ हैं. उनका हालिया बयान, जिसमें उन्होंने लालू परिवार को घोटालों का पर्याय बताया, सियासी रणनीति का हिस्सा लगता है. मांझी ने तेजस्वी पर निशाना साधते हुए उन्हें बिहार की समस्याओं की जड़ करार दिया, विशेष रूप से चारा घोटाला और नौकरी के बदले जमीन घोटाले का जिक्र करते हुए. यह बयान उस समय आया जब बिहार में चुनावी माहौल गर्म है, और बीजेपी-जेडीयू गठबंधन आरजेडी को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहा है.

मांझी लालू परिवार पर क्यों हमलावर हैं?
राजनीतिक विश्लेषक संजीव पांडेय कहते हैं, ‘मांझी का यह हमला केवल लालू परिवार की छवि खराब करने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह उनके दलित वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति भी हो सकती है. बिहार में दलित मतदाता, विशेष रूप से मांझी की मुसहर जाति, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मांझी अपनी पार्टी को एनडीए के लिए इस वोट बैंक का मजबूत आधार बनाना चाहते हैं. इसके अलावा, तेज प्रताप यादव के हालिया विवाद, जिसमें उनकी निजी जिंदगी को लेकर चर्चाएं हुईं, ने मांझी को आरजेडी पर नैतिकता के आधार पर हमला करने का मौका दिया. मांझी ने तेज प्रताप की पूर्व पत्नी ऐश्वर्या राय के साथ लालू परिवार के व्यवहार को भी मुद्दा बनाया, जिससे महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश दिखती है.’

2020 का ऑफर या अफवाह?

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं, लेकिन सरकार बनाने में असफल रहा. उस समय यह चर्चा थी कि तेजस्वी यादव ने मांझी की पार्टी को गठबंधन में शामिल करने के लिए डिप्टी सीएम का ऑफर दिया था. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, तेजस्वी ने मांझी को गठबंधन में लाने के लिए कई दौर की बातचीत की थी, क्योंकि मांझी की चार सीटें सरकार गठन में निर्णायक हो सकती थीं. हालांकि, मांझी ने इस ऑफर को ठुकरा दिया और एनडीए के साथ बने रहे.

आरजेडी ने क्या दिया था प्रस्ताव?
इस ऑफर की सच्चाई पर आज भी सवाल उठते हैं. आरजेडी सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी ने मांझी को केवल सहयोग का प्रस्ताव दिया था, जिसमें डिप्टी सीएम का पद स्पष्ट रूप से ऑफर नहीं किया गया. दूसरी ओर, मांझी और उनके समर्थक दावा करते हैं कि तेजस्वी ने डिप्टी सीएम का लालच दिया, लेकिन मांझी ने इसे “सत्ता की लालसा” के बजाय “सिद्धांतों” के लिए ठुकरा दिया. यह मुद्दा अब 2025 के चुनाव में फिर से उछाला जा रहा है, क्योंकि मांझी आरजेडी को अस्थिर और अवसरवादी साबित करना चाहते हैं.

कुलमिलाकर मांझी का लालू परिवार पर हमला और 2020 के ऑफर का जिक्र बिहार की सियासत में रणनीतिक दांव है. यह एनडीए की कोशिश है कि आरजेडी को भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मुद्दे पर कमजोर किया जाए. 2025 का चुनाव इस बात पर निर्भर करेगा कि बिहार का मतदाता इन सियासी हमलों को कैसे देखता है और क्या तेजस्वी अपनी युवा अपील और आर्थिक मुद्दों को भुना पाएंगे.



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