कभी कॉल सेंटर में की नौकरी, आज करोड़ों की मालकिन! अब चुनाव में दे रही टक्कर

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samastipur vidhan sabha chunav: समस्तीपुर विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा फिल्म निर्माता चेतना झाम काफी चर्चा में हैं. उन्होंने अपनी संपत्ति का चुनावी हलफनामें खुलासा किया है.

समस्तीपुर. चेतना झाम, जिनका नाम हाल ही में चर्चित फिल्म ‘बेगुनाह’ की निर्मात्री के रूप में सामने आया, अब समस्तीपुर विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी बनकर अपनी राजनीतिक किस्मत आजमा रही हैं. उनका ये सफर अचानक नहीं, बल्कि लगातार छह महीने के जनसंपर्क अभियान, गांव-गांव की यात्राओं और लोगों से जुड़ने की मेहनत का परिणाम है. पहले उन्होंने जन सुराज पार्टी का दामन थामा, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने बिना किसी दल के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का साहस दिखाया. उनकी यह हिम्मत उन्हें बाकी उम्मीदवारों से अलग बनाती है.

नामांकन के दौरान दाखिल शपथपत्र के अनुसार चेतना झाम के पास कुल मिलाकर करीब 3 करोड़ की संपत्ति है. इसमें ₹1 लाख नकद, एचडीएफसी बैंक में ₹5 लाख की जमा राशि, 2 किलो सोना और 1 किलो चांदी शामिल है. इसके अलावा उनके पास एक लग्जरी कार है, जिसकी कीमत लगभग 1 करोड़ रुपये आंकी गई है. बावजूद इसके, चेतना का रहन-सहन और जुड़ाव बेहद साधारण और जमीन से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कभी अपनी सफलता को घमंड नहीं बनने दिया, बल्कि उसे समाज सेवा और जागरूकता के कार्यों में लगाया.

कॉल सेंटर से फिल्म प्रोडक्शन तक
समस्तीपुर की बेटी चेतना झाम्ब का करियर दिल्ली के एक कॉल सेंटर में ₹3000 प्रतिमाह की नौकरी से शुरू हुआ था. पढ़ाई और काम साथ-साथ करते हुए उन्होंने एयर होस्टेस का कोर्स किया और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने का मौका मिला. यहां से उनकी किस्मत ने करवट ली और वे भोजपुरी सिनेमा के चर्चित अभिनेता रितेश पांडे की फिल्म ‘बेगुनाह’ की निर्माता बन गईं. हाल ही में उन्होंने समस्तीपुर में ही ‘अनमोल घड़ी’ नामक फिल्म की शूटिंग कराकर जिले को गौरवान्वित किया. उनका ये सफर उन लाखों युवाओं के लिए मिसाल है जो छोटे शहरों से बड़ा सपना देखते हैं.

स्थानीय जुड़ाव बना चेतना की सबसे बड़ी ताकत
पंजाबी कॉलोनी, समस्तीपुर की रहने वाली चेतना का पारिवारिक बैकग्राउंड आम मध्यमवर्गीय है. उनके पिता चंद्र प्रकाश झाम्ब कपड़ों के व्यवसायी हैं और मां विद्या झाम्ब एक गृहिणी हैं. चेतना के लिए यह जुड़ाव ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गया है. गांवों में उनकी पहुंच, महिलाओं और युवाओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता, और समाज के हर वर्ग से मिल रहा समर्थन बताता है कि चेतना सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि बदलाव की एक नई उम्मीद हैं. समस्तीपुर की जनता उन्हें अपनी ‘बेटी’ मानती है, और यही भावनात्मक रिश्ता उनकी सबसे बड़ी पूंजी है.

ऑथरीमजी

मोहम्मद माजिद

पत्रकारिता में 4 वर्ष से अधिक का अनुभव। 2023 से नेटवर्क 18 के साथ जुड़े हुए एक साल हो गया है। वर्तमान में नेटवर्क 18 में एक वरिष्ठ सामग्री संपादक के रूप में कार्यरत हूं। यहां, मैं हाइपरलोकल समाचारों को कवर कर रहा हूं…और पढ़ें

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घरबिहार

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