कोरोना काल में नगर परिषद ने 100 लावारिस मवेशियों को जंगल में छोड़ा था, लेकिन अब भी 40 मवेशी शहर की सड़कों पर घूम रहे हैं। ये मवेशी राहगीरों के लिए खतरा बन गए हैं और कई लोग घायल हो चुके हैं। कांजी हाउस…
कोरोना काल में करीब 100 मवेशियों को पकड़कर नगर परिषद ने जंगल व पहाड़ की ओर छोड़ा था, अभी भी 40 के आसपास हैं पशु बंद हो गया लावारिस मवेशियों को बांधकर रखनेवाला कांजी हाउस सड़क पर जब आपस में लड़ते हैं मवेशी तब भागने लगते हैं राहगीर भभुआ, कार्यालय संवाददाता। शहर की सड़कों पर विचरण करनेवाले लावारिस पशु अब राहगीरों के लिए खतरनाक साबित होने लगे हैं। जब वह आपस में सड़कों पर लड़ते हैं तब बाजार में आए लोग इधर-उधर भागने लगते हैं। ऐसी घटनाओं में वार्ड 18 के उदय सिंह, वार्ड 12 के छात्र राजेश कुमार जैसे लोग घायल भी हो गए हैं। मवेशी किसी भी ठेले या दुकान पर रखी चीजों में मुंह लगा देते हैं। भगाने पर वह उन चीजों को नष्ट कर देते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी सांड़ हैं जिससे बचकर राह तय नहीं किया जाए तो हमला कर देते हैं। रात के वक्त तो वह सड़क व गलियों में ही बैठ जाते हैं। दोपहर के वक्त भी ऐसा दृश्य देखने को मिलता है। शहर के एकता चौक, पटेल चौक, जेपी चौक, रणविजय चौक, कचहरी पथ, कलेक्ट्रेट पथ, पुराना चौक पथ में गाय, सांड़ विचरण करते हैं। कभी यह कूड़ों के ढेर पर भोजन तलाशते दिख जाते हैं तो कभी ठेला पर बिक रहे फल, सब्जी या अन्य खाद्य पदार्थों को खाते नजर आते हैं। यह सिर्फ शहर की सड़कों पर ही नहीं, गलियों और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के बधार में भी फसल को नष्ट करते मिल जाते हैं। इनके भय से किसान, राहगीर, व्यवसाई सहमे रहते हैं। शहर में लावारिस मवेशियों की तादाद सड़कों पर फिर बढ़ने लगी है। इससे सड़क हादसों का खतरा भी बढ़ने लगा है। सड़कों पर हर रोज लावारिस पशु घूम रहे हैं। शाम को यह पशु सड़क के आ जाते हैं। सड़कों पर झुंड में घूमते ये लावारिस पशु हर समय दुर्घटना को निमंत्रण देते नजर आते हैं। इन पशुओं की सड़कों पर बढ़ती भीड़ के चलते वाहन चालकों और रोड से निकलने वाले राहगीरों के लिए मुसीबत बढ़ती जा रही है। 100 मवेशियों को पकड़कर छोड़ा था दूर नगर परिषद, वन विभाग व पशुपालन विभाग ने संयुक्त अभियान चलाकर शहर में घूमने वाले करीब 100 मवेशियों को पकड़कर पिकअप वैन से जिले के विभिन्न जंगली क्षेत्र में छोड़ा था। इनमें से कुछ मवेशी भागकर दुबारा शहर में आ गए और कुछ लौटे ही नहीं। इसकी पुष्टि नगर परिषद प्रशासन और पशुपालन विभाग ने भी की है। गोशाला व्यवस्थित करने का हुआ था प्रयास शहर की गोशाला को व्यवस्थित करने का प्रयास तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकाकारी द्वारा वर्ष 2022 में किया गया था। इसको लेकर बैठक हुई थी। लोगों से राय-मशविरा किया गया। लेकिन, काम आगे नहीं बढ़ पाया। अगर गोशाला व्यवस्थित होती तो उसमें इन लावारिस मवेशियों को रखा जा सकता था। कुछ लोगों ने चारा का प्रबंध करने की भी बात कही थी। बंद हो चुका है शहर का कांजी हाउस शहर में कभी कांजी हाउस हुआ करता था, जिसमें फसल को नुकसान पहुंचाने वाले मवेशियों को पकड़कर किसान लाते थे। लावारिस मवेशी भी इसमें रखे जाते थे। लेकिन, वर्षों पूर्व यह कांजी हाउस भी बंद हो गया। कांजी हाउस बंद होने व गोशाला को व्यवस्थित नहीं किए जाने से मवेशियों को रखने की समस्या उत्पन्न हो रही है। कोट शहर में तीन बार अभियान चलाकर करीब 100 लावारिस मवेशियों को जंगल व पहाड़ क्षेत्र में छोड़ा गया। कुछ मवेशी भागकर दुबारा लौट आए। कुछ नए पशु भी दिख रहे हैं। जिला प्रशासन से अनुमति लेकर फिर अभियान चलाया जाएगा। संजय उपाध्याय, ईओ, नगर परिषद फोटो- 26 सितंबर भभुआ- 3 कैप्शन- भभुआ शहर के समाहरणालय पथ में मंगलवार को आपस में लड़ते दो सांड़।