शिवहर जिले के ऐतिहासिक बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर, देकुलीधाम में चल रहे जीर्णोद्धार कार्य के दौरान इतिहास की एक अमूल्य धरोहर सामने आई है। मंदिर के पूर्वी छोर पर मिट्टी की खुदाई में करीब 10 फीट नीचे से पालकालीन भगवान सूर्य की दुर्लभ मूर्ति मिली है। नूरी ग्रेनाइट से निर्मित यह श्यामवर्णी मूर्ति लगभग ढाई फीट लंबी और सवा फीट चौड़ी है, जिसका वजन करीब सौ किलोग्राम बताया गया है। मूर्ति में मुख्य विग्रह के अतिरिक्त छह अन्य मूर्तियों की भी सुंदर नक्काशी की गई है।
महल कला के उत्कृष्ट उदाहरण
बेगूसराय संग्रहालय के अध्यक्ष शिव कुमार मिश्रा के अनुसार यह मूर्ति पाल वंश काल (800–1200 ई.) की है, जो सूर्य उपासना की अद्भुत परंपरा का प्रमाण है। मूर्ति की बनावट, मुद्रा और अलंकरण उस काल की शिल्पकला के श्रेष्ठ उदाहरण माने जा रहे हैं। खबर मिलते ही एसडीओ अविनाश कुणाल और एसडीपीओ सुशील कुमार मौके पर पहुँचे और स्थिति का जायजा लिया। मूर्ति को प्राथमिक रूप से साफ कर कोषागार में सुरक्षित रखा गया है। एसडीओ ने बताया कि पुरातत्व विभाग को सूचित किया गया है और विस्तृत जांच के लिए टीम बुलवाई गई है।
यह भी पढ़ें: सीमा पर गोलीबारी में बिहार का सपूत बलिदान; BSF जवान इम्तियाज ने सीमा पर दिखाया अदम्य साहस
मंदिर में ही हो मूर्ति की पुनर्स्थापनास्थानीय लोगों में इस खोज को लेकर उत्साह है। वे चाहते हैं कि मूर्ति को मंदिर में पुनः स्थापित किया जाए और इसे धार्मिक व ऐतिहासिक पहचान दी जाए। लोगों का कहना है कि यह मूर्ति देकुलीधाम की प्राचीनता और आस्था की पुष्टि करती है।
काशी विश्वनाथ की तर्ज पर हो रहा जीर्णोद्धार
गौरतलब है कि करीब 11.92 करोड़ की लागत से बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य जारी है, जिसे काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। मंदिर परिसर में सरोवर का नवीनीकरण भी शामिल है। खोदाई के समय मौके पर आय कंस्ट्रक्शन के मालिक राकेश सिंह, मंदिर न्यास समिति के सचिव संदीप भारती, उपाध्यक्ष अनिल भारती, सदस्य सुमि भारती, देवेंद्र भारती, बीरेंद्र भारती तथा पुजारी शिवपूजन भारती उपस्थित थे। यह खोज न सिर्फ देकुलीधाम की ऐतिहासिक महत्ता को पुनः रेखांकित करती है, बल्कि बिहार के सांस्कृतिक वैभव को भी उजागर करती है। अब सबकी निगाहें पुरातत्व विभाग की विस्तृत जांच और मूर्ति के भविष्य को लेकर संभावित निर्णयों पर टिकी हैं।