पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. इस बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बीच तीखी सियासी जंग छिड़ गई है. हाल ही में जेडीयू के एमएलसी संजय सिंह ने दावा किया कि प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से डिप्टी सीएम का पद मांगा था, जिसके जवाब में जन सुराज ने तीखी प्रतिक्रिया दी, यह कहते हुए कि संजय सिंह की “औकात ही नहीं थी सीएम हाउस में आने की, जहां पीके रहते थे.” यह विवाद बिहार की सियासत में नया तूफान ला रहा है. ऐसे में जानते हैं कि महाभारत यानी बिहार चुनाव से ठीक पहले संजय सिंह कौन हैं, जिसकी वजह से पीके की ‘तलवार’ तेजस्वी यादव से अब सीएम नीतीश कुमार की तरफ घूम गई.
पीके निशाने पर कौन?
जेडीयू और पीके का टकराव तब तेज हुआ जब जेडीयू एमएलसी संजय सिंह ने 8 जून 2025 को दावा किया कि पीके ने नीतीश से डिप्टी सीएम का पद मांगा था. संजय सिंह ने पीके की राजनीति को “निजी महत्वाकांक्षा” से प्रेरित बताया और जन सुराज को “महंगा ब्रांडिंग प्रोजेक्ट” करार दिया. जवाब में, जन सुराज के महासचिव किशोर कुमार मुन्ना ने कहा कि पीके ने 2015 में नीतीश की कुर्सी बचाई थी, न कि कोई पद मांगा. पीके ने खुद तंज कसते हुए कहा कि वे सीएम हाउस में रहते थे, जहां संजय सिंह को आने की इजाजत भी नहीं थी.
संजय सिंह बिहार विधान परिषद के सदस्य और जेडीयू नेता हैं. वे नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं और पार्टी के लिए मुखर प्रवक्ता की भूमिका निभाते हैं. गया जिले से ताल्लुक रखने वाले संजय सिंह का प्रभाव क्षेत्रीय स्तर पर है और वे जेडीयू की रणनीति को मजबूत करने में सक्रिय रहे हैं. हालांकि, उनका यह दावा कि पीके ने डिप्टी सीएम का पद मांगा, विवादास्पद हो गया, क्योंकि जन सुराज ने इसे “झूठा प्रचार” करार दिया. संजय सिंह का बयान जेडीयू की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो पीके की बढ़ती लोकप्रियता को कम करने की कोशिश कर रही है.
सियासी समीकरण और महत्वाकांक्षा
यह टकराव बिहार के जटिल सियासी समीकरणों का हिस्सा है. पीके की जन सुराज पार्टी नीतीश की जेडीयू और तेजस्वी यादव की आरजेडी, दोनों के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. सी-वोटर सर्वे (अप्रैल 2025) के अनुसार, तेजस्वी सबसे लोकप्रिय सीएम उम्मीदवार हैं, लेकिन पीके की लोकप्रियता भी 17.2% तक बढ़ी है. पीके ने नीतीश पर “मानसिक अस्वस्थता” और “थकान” के आरोप लगाए, जिससे जेडीयू बौखला गई.
जेडीयू को डर है कि पीके और उनके सहयोगी, जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह, जो हाल ही में जन सुराज में शामिल हुए, नीतीश के कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग (EBC) वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं. संजय सिंह का बयान पीके की छवि को महत्वाकांक्षी और अवसरवादी दिखाने की कोशिश है, ताकि जन सुराज की विश्वसनीयता कम हो. दूसरी ओर, पीके नीतीश की “असफलता” और बिहार की “पिछड़ेपन” को मुद्दा बनाकर युवाओं और शिक्षित मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.