वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाना बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र वास्तु के अनुसार सुख-शांति के लिए घर में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र में घर से जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं। इनका पालन-पोषण करने से वास्तु दोष नहीं लगता है। आइये जानते हैं वास्तुशास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए आपका घर….
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में होना चाहिए। यदि प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में रखना संभव नहीं है तो इसे पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में ज्योतिष का स्थान हमेशा उत्तर और पूर्व में होना चाहिए। घर में बड़ी से बड़ी विंडो बनाने का प्रयास करें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पानी के नाल की उत्तर या पूर्व दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई के लिए दक्षिण पूर्व दिशा का सबसे शुभ मणि है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा घर उत्तर पूर्व या ईशान कोण में करनी चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार बच्चों का अध्ययन कक्ष उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय का पश्चिम दिशा में होना आवश्यक है।
घर के सामने अस्पताल ठीक नहीं होता। यह नकारात्मक ऊर्जा देता है। अगर आपका घर अस्पताल के पास है तो भवन की जो भी दुकान आदि उस तरफ खुल रही है, वहां पर परदा रखें।
घर में वास्तुदोष दूर करने के उपाय-
एक बगुआ दर्पण भवन के मुख्य द्वार पर इस प्रकार का दर्पण रखा जाता है। मुख्य द्वार के ऊपर चौखट पर एक अष्ट मंगल की माला।
मुख्य द्वार पर एक लकड़ी की या फिर दिशा के अनुसार पत्थर की दहलीज की इमारतें हैं।
मुख्य द्वार पर शाम के बाद भी रोशनी का ऐसा प्रशासन किया गया कि सारी रात उस पर रोशनी रही। मुख्य द्वार के दोनों ओर एक श्वेतार्क का पौधा पौधा।