रवि प्रदोष 2024: आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन आज प्रदोष का व्रत रखा जाएगा। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। इस दिन कई शिवभक्त व्रत रखकर भोलेनाथ की पूजा भी करते हैं। पितृ पक्ष चल रहे हैं। ईसाई धर्म के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान प्रदोष का व्रत रखना या प्रदोष पर भगवान शिव की श्रद्धा के साथ पूजा करना पुण्यदायक माना जाता है। आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत का शुभ उत्सव, चौघड़िया उत्सव और शिव पूजन विधि-
रविप्रदोष व्रत आज: ज्योतिषाचार्य अशोक पैंडे के अनुसार, इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं। पितृ पक्ष में प्रदोष व्रत 29 सितंबर रविवार को है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। सिद्धांत यह है कि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिव पूजन करने से शुभ फल मिलता है। रविवार के दिन प्रदोष व्रत का संजोग बन रहा है।
रवि प्रदोष प्रातः व सायं की पूजा का शुभ उत्सव
प्रदोष त्रयोदशी तिथि- दिनांक 29, 2024 अपराह्न 04:47 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – सितंबर 30, 2024 को 07:06 बजे तक
प्रदोष पूजा उत्सव – शाम 06:09 बजे से शाम 08:34 मिनट तक
अवधि – 02 प्रथमदृष्टया 25 मिनट
चौघड़िया महोत्सव पर रवि प्रदोष
लाभ – प्रातः 09:12 से प्रातः 10:42 मिनट तक
अमृत- प्रातः 10:42 से दोपहर 12:11 वार वेला
शुभ – दोपहर 01:41 से दोपहर 3:10 मिनट तक
शुभ – शाम 06:09 से शाम 07:40 मिनट तक
अमृत - शाम 07:40 से शाम 09:10 मिनट तक
रविप्रदोष पूजा-विधि
नहाने के बाद साफा वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की स्वीकृत पूजा करें। अगर व्रत रखें तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर साये के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। फिर से शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें। शिव परिवार की अनुमोदित पूजा- प्रमाणित करें। अब रवि प्रदोष व्रत की कथा। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।
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