पितृ पक्ष 12वां दिन: रविवार के दिन पितृ पक्ष का 12वां दिन पड़ रहा है। 12वें दिन को द्वादशी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। माघ नक्षत्रों की लग्न से आज माघ श्राद्ध भी निकाला जाएगा। पितृ पक्ष में शुभ उत्सव के दौरान और सही तिथि पर ही श्राद्ध करना जरूरी माना गया है। इसलिए आइए जानते हैं पितृ पक्ष के माघ श्राद्ध और द्वादशी श्राद्ध के दिन किसका श्राद्ध करना चाहिए, श्राद्ध की विधि और परिवार के लोगों द्वारा किया जा सकता है श्राद्ध-
माघ श्राद्ध एवं द्वादशी पर किसका श्राद्ध करें?
29 सितंबर, रविवार के दिन उन पूर्णिमा का श्राद्ध करें, स्वर्गवास किसी भी महीने की द्वादशी तिथि को हो। द्वादशी श्राद्ध को बारस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। द्रोण पंचांग के अनुसार इस दिन शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों ही नक्षत्र की द्वादशी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। जो लोग पूर्व सन्यास ग्रहण कर लेते हैं, उनके श्राद्ध के लिए भी द्वादशी तिथि उत्तम मानी जाती है। द्वादशी श्राद्ध को संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण, आदि आदि शुभ उत्सव माने गए हैं। तिथि ज्ञात न होने पर पितृ तर्पण के दिन श्राद्ध करना चाहिए।
द्वादशी श्राद्ध कर्म कैसे करें: इस दिन घर के मुख्य द्वार पर फूल आदिम वास्तुशिल्पियों की पूजा करें। पहले यम का प्रतीक कौआ, कुत्ता और गाय का घास। पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें। कुश और काले तिल से तीन बार तर्पण करें। किसी ब्राह्मण को वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान। जिसमें ब्राह्मण नहीं मिल सके, वे भोजन आदि मंदिर में बांट सकते हैं।
द्वादशी श्राद्ध कौन कर सकता है: ज्योतिर्विद पंडित सुरधर शर्मा ने बताया, श्राद्ध तीन पीढ़ी तक जा सकता है और करने का अधिकार पुत्र, पुत्र, देवता और भांजे को है। आदि की रुचि के भोजन, फल, मिष्ठान आदि का दान उन्हें पसंद आता है। उनके आशीर्वाद से पितृ दोष तक मुक्ति संभव है।
डिस्क्लेमर: इस दस्तावेज़ में दी गई जानकारी स्टॉक्स पर आधारित हैं। संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के लिए विस्तृत और अधिक जानकारी अवश्य लें।