शारदीय नवरात्रि: 2 शुभ गणेश में करें कलश स्थापना, जानें कलश स्थापना करने की आसान विधि

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नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त: 3 अक्टूबर के दिन से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा से पहले घट स्थापना और कलश स्थापना का विधान है। कलश की स्थापना के लिए शाश्वत उत्सव व सही विधि के अनुसार कार्य करना चाहिए। पंडित जी से जानें घाट स्थापना व कलश स्थापना के पूजन व आसान विधि-

कलश स्थापना का शुभ अवसर: पंडित तरूण झा ने बताया कि कलश स्थापना के दिन दोपहर 03 बजे से दोपहर 03 बजे तक किया जा सकता है, लेकिन अति विशिष्ट कलश स्थापना दिवस प्रातः 06.07 से 07.37 तक अति उत्तम एवं प्रात: 10.05 से 03 बजे तक उत्तम है।

घट स्थापना शुभ उत्सव- पंडित ललित शर्मा ने बताया कि घट स्थापना का शुभ महोत्सव प्रात: 6.15 बजे से प्रात: 7.22 बजे तक रहेगा। घाट स्थापना का अभिजित महोत्सव प्रात: 11.46 बजे से दोपहर 12.33 बजे तक रहेगा।

घाट स्थापना का महत्व

नवरात्रि में घट स्थापना का बड़ा महत्व। कलश में हल्दी की आंत, सुपारी, दूर्वा, पांच प्रकार के विद्यार्थियों से कलश को उतारा जाता है। कलश के नीचे रेत की वेदी छोड़ें जो बोए जाते हैं। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती एवं दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।

कलश स्थापना की आसान विधि

सबसे पहले पूजा स्थल का गंगाजल से शुद्ध करें। अब हल्दी से अष्टदल बना लें। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तनों में मिट्टी के बर्तन बनाएं। अब एक मिट्टी या बेसिन के लोटे पर रोली से स्वास्तिक रेसिपी। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में साफ पानी के बर्तन शामिल हैं, जिनमें कुछ ड्रमें गंगाजल की बूंदें हैं। अब इस कलश के पानी में सूखा, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पान, फूल और इलायची शामिल हैं। फिर पांच प्रकार के पत्ते और कलश को पढ़ाना। इसके बाद लाल चुनी में नारियल लपेट कलश के ऊपर रख दें। कलश को बालू की वेदी के ऊपर स्थापित करें।

पूजा-विधि

1- सुबह नहाएं और मंदिर को साफ करें

2- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।

3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प को निहारें।

4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक वस्त्र।

5- घाट और कलश की स्थापना करें।

6- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चड़ाएं।

7- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं

8- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें

9- पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।

10- अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में विद्वानों द्वारा दी गई सामग्री पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के लिए विस्तृत और अधिक जानकारी अवश्य लें।



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