नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 सिद्धांतों की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक धार्मिक विधि के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा करने की विधि-विधान से सभी मन की शांति हो जाती है। आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाती हैं। हिन्दू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार से प्रारंभ होगा। शारदीय नवरात्रि का पर्व 11 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा।
स्थापना
नवरात्र का पहला दिन कलश स्थापना का विधान है। इसी देवी की पूजा होती है। कलश में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा मातृगण का निवास माना जाता है। इसकी स्थापना से जातक को शुभ परिणाम मिलते हैं।
कलश स्थापना का समय 1 घंटा 6 मिनट रहेगा
पंडित शंकर गौरी शर्मा ने बताया कि इस बार कलश स्थापना का समय प्रातः 6 बजे से 15 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार कलश स्थापना का समय कुल 1 घंटा 6 मिनट रहेगा। इसके अलावा कलश स्थापना अभिजीत महोत्सव में भी शामिल हो सकता है। अभिजीत गणेश सुबह 11 बजे 46 मिनट से दोपहर 12 बजे तक 33 मिनट तक रहेगा। यानी 47 मिनट का समय मिलेगा।
पालकी में आ रचित माता
ज्योतिषाचार्य पंडित गौरी शर्मा शंकर ने बताया कि ‘नवरात्रि’ संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ नौ रात है। इन नौ दिनों में व्रत-उपवास दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तसती का पाठ, दुर्गा सप्तसती और दुर्गा चालीसा के साथ राम चरित्रमानस का भी पाठ किया जाता है। भक्ति भाव से आराधना करने से दुर्गा माँ आकर्षक होती हैं। उन्होंने बताया कि इस बार माता-पिता घर में हैं। नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार या शुक्रवार से होती है, इसलिए माना जाता है कि माता पालकी या डोली में रहती हैं।