पटाखे फोड़ने को यूं ही मना नहीं कर रहे एक्सपर्ट्स, आंखें खोल देगी ये जानकारी, आप खुद कर लेंगे तौबा

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दिवाली का त्‍यौहार वैसे तो रोशनी, उमंग और श्रद्धा से जुड़ा है, लेकिन लंबे समय से इस दिन बम-पटाखे फोड़ने का चलन भी चला आ रहा है.हालांकि पटाखों से पर्यावरण के साथ-साथ आम जनमानस को हो रहे नुकसान को देखते हुए कई राज्‍यों में पटाखे जलाने पर रोक लगा दी गई है. इतना ही नहीं हेल्‍थ एक्‍सपर्ट से लेकर पर्यावरण से जुड़े लोग भी लगातार लोगों से पटाखे न चलाने की अपील कर रहे हैं. वहीं बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं, जो दिवाली के त्‍यौहार पर पटाखे चलाने के पक्ष में दलीलें दे रहें हैं, लेकिन आपको बता दें कि एक्‍सपर्ट फायरक्रैकर्स के लिए यूं ही मना नहीं कर रहे हैं, अगर आप भी डब्‍ल्‍यूएचओ के टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन ग्‍लोबल एयर पॉल्‍यूशन एंड हेल्‍थ के सदस्‍य डॉ. जीसी खिलनानी द्वारा पटाखों को लेकर दी जा रही इस जानकारी को पढ़ेंगे तो पक्‍का पटाखे फोड़ने से तौबा कर लेंगे.

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पटाखे में क्‍या होता है
सेंट्रल पॉल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार पटाखों में चारकोल, पोटेशियम नाइट्रेट, सल्‍फर आदि. कलरिंग एजेंट्स के रूप में हैवी मेटल्‍स जैसे एल्‍यूमिनियम, लिथियम, बेरियम और कॉपर आदि. पटाखे में जलने की स्‍पीड को कंट्रोल करने के लिए कैमिकल्‍स , बाइंडिंग मेटेरियल्‍स जैसे पेपर, ग्‍लू, राख, कार्बन मोनोऑक्‍साइड, वोटाइल ऑर्गनिक कंपाउंड्स, पॉलिसाइक्‍लिक अरोमेटिक हाइड्रोकार्बन्‍स आदि पाए जाते हैं.

प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं पटाखे
डॉ. खिलनानी कहते हैं कि फायरक्रैकर्स को जलाने से बहुत ज्‍यादा मात्रा में जहरीले पार्टिकल्‍स निकलते हैं. एक रिसर्च बताती है कि एक छोटी सांप की गोली जलाने से 3 मिनट के अंदर पीएम 2.5 की 64500 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर मात्रा रिलीज होती है. जबकि एक फुलझड़ी दो मिनट में 10390 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर 2.5 पार्टिकुलट मेटर की मात्रा छोड़ती है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पटाखों से कितना प्रदूषण होता है.

पटाखों से क्‍या होता है नुकसान
पटाखे हमारी इम्‍यूनिटी को उसी मात्रा में कमजोर कर देते हैं,जितनी मात्रा में ऑटोमोबाइल आदि अन्‍य सोर्सेज करते हैं.एक पटाखा एक सिगरेट के मुकाबले 40 से 400 गुना ज्‍यादा नुकसानदायक गैसें छोड़ता है. आइए जानते हैं पटाखों की वजह सेहत पर क्‍या असर पड़ता है.

शॉर्ट टर्म असर
पटाखों के संपर्क में आने से कम अवधि में ही काफी गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं. पटाखों में मौजूद कैमिकल्‍स और गैसों की वजह से अस्‍थमा अटैक, हार्ट अटैक, स्‍ट्रोक, स्किन में एलर्जी, लंग टॉक्सिसटी, आंखों में जलन, नाक, मुंह में इरिटेशन, सिरदर्द, उबकाई और उल्‍टी, लिवर, किडनी और ब्रेन डैमेज व समझने की क्षमता कम हो जाने की दिक्‍कतें हो सकती हैं.

लॉन्‍ग टर्म में बीमारियां
पटाखों का असर सिर्फ तुरंत ही देखने को नहीं मिलता. इनका प्रभाव लंबे समय तक हेल्‍थ पर पड़ता है. लॉन्‍ग टर्म में पटाखों की वजह से हार्ट और फेफड़ों की बीमारियां, कैंसर, हड्डियां कमजोर होना, रेडियोएक्टिव फॉलआउट, पौधौं और जानवरों को नुकसान, अजन्‍मे बच्‍चों की प्री मेच्‍योर डिलिवरी का खतरा,एसिड रेन के अलावा कई क्रॉनिक हेल्‍थ इफैक्‍ट भी शामिल हैं.

पटाखे चलाने से पहले सोचें
डॉ. जीसी खिलनानी कहते हैं कि अगर आप पटाखे चलाते हैं तो उससे पहले अपने और अपने परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य के अलावा, पेड़ पौधों, पशु पक्षियों और इस प्रकृति को होने वाले नुकसान के बारे में सोचें. कोशिश करें कि त्‍यौहार को पटाखों से इतर सोचकर मनाएं. खुशियों को अन्‍य तरीकों से बांटें और सभी को उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य का तोहफा दें.

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टैग: दिवाली, दिवाली उत्सव, दिवाली पटाखा बैन, स्वास्थ्य समाचार



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