बंकर बस्टर मिसाइल: ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर किए गए बंकर बस्टर बम हमले ने एक बार फिर गहरे भूमिगत ठिकानों को तबाह करने की सैन्य तकनीक की अहमियत को दुनिया के सामने ला दिया है. अब भारत भी ऐसी ही घातक मिसाइल तकनीक विकसित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) देश की पहली ‘बंकर बस्टर’ इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल पर काम कर रहा है. इसे मौजूदा अग्नि-5 मिसाइल के नए और बेहद शक्तिशाली संस्करण के रूप में तैयार किया जा रहा है.
कलाम ने रखी थी अग्नि मिसाइल की नींव
भारत के मिसाइल प्रोग्राम की शुरुआत वर्ष 1983 में भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी. उसी मिशन की अगली कड़ी के रूप में DRDO अब ‘बंकर बस्टर’ अग्नि-5 मिसाइल को तैयार कर रहा है. अग्नि-5 मिसाइल का पहला आधिकारिक परीक्षण 25 जनवरी 2002 को हुआ था. यह मिसाइल 1,000 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाने और 1,200 किलोमीटर तक सटीक निशाना साधने में सक्षम है.
जमीन के अंदर 100 मीटर तक कर सकेगी तबाही
नए बंकर बस्टर वर्जन को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि यह दुश्मन के गहराई में छिपे सैन्य ठिकानों, परमाणु संयंत्रों और कमांड सेंटर्स को पूरी तरह ध्वस्त कर सके. इसकी खासियत होगी:
- 80 से 100 मीटर गहराई तक जमीन में घुसकर विस्फोट करना
- 7500 किलोग्राम तक विस्फोटक क्षमता
- 2,500 से 3,000 किलोमीटर तक की रेंज (ज्यादा विस्फोटक क्षमता के कारण रेंज में मामूली कमी)
- DRDO के वैज्ञानिकों का दावा है कि अग्नि-5 का यह नया वर्जन कंक्रीट और स्टील की मोटी परतों को भेदने में सक्षम होगा, जो कि सामान्य मिसाइलों के बस की बात नहीं.
परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम
इस मिसाइल की लंबाई 17.5 मीटर और व्यास 2 मीटर है, जबकि इसका कुल वजन 50 टन (50,000 किलोग्राम) है. यह 3-स्टेज सॉलिड फ्यूल प्रोपल्शन सिस्टम पर आधारित है और इसकी गति 2 मैक (Mach) तक पहुंच सकती है. सबसे खास बात यह है कि अग्नि-5 मिसाइल पारंपरिक विस्फोटकों के साथ-साथ परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है. जिससे यह भारत की रणनीतिक ताकत को और ज्यादा मजबूत बनाती है.