भारत-तुर्की संबंध: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और इसके पीछे पाकिस्तान की भूमिका पर भारत ने सख्त रुख अपनाया है. इस सिलसिले में भारत सरकार ने तुर्किए को खुली चेतावनी दी है कि वह पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ विश्वसनीय और सत्यापन योग्य कार्रवाई के लिए प्रेरित करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि हम उम्मीद करते हैं कि तुर्किए, पाकिस्तान को आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में इस्तेमाल करने से रोके और उसके ओर से पोषित आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए प्रेरित करें.
भारत की ओर से हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल कार्रवाइयों में तुर्किए की संलिप्तता पर सवाल उठे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार 300 से 400 ड्रोन जो भारत के सैन्य और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बना रहे थे, उनमें अधिकांश तुर्किए की ओर से हासिल किए गए थे. इन ड्रोनों का इस्तेमाल लद्दाख से लेकर गुजरात तक भारत के हवाई क्षेत्र में हमले की कोशिश के लिए किया गया. कराची बंदरगाह पर तुर्किए का युद्धपोत भी भारत के लिए सैन्य चिंता का कारण बना. भारत का मानना है कि यह केवल नैतिक समर्थन नहीं था, बल्कि सैन्य लॉजिस्टिक मदद भी पाकिस्तान को मिली.
तुर्किए ने पहलगाम हमले की निंदा क्यों नहीं की?
पाकिस्तान से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट, जो कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा है. उसने इस हमले को अंजाम दिया. तुर्किए ने इस हमले की सार्वजनिक निंदा नहीं की, जबकि राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को एकजुटता का पत्र भेजा. उन्होंने पाकिस्तान में मारे गए आतंकियों के लिए “अल्लाह से दया की प्रार्थना” की. यह सब भारत को न केवल नीतिगत रूप से अस्वीकार्य बल्कि भावनात्मक रूप से अपमानजनक भी प्रतीत हुआ.
भारत-तुर्किए संबंधों पर इसका असर
भारत और तुर्किए के संबंधों में पहले भी कश्मीर मुद्दे पर मतभेद रहे हैं. अब जब तुर्किए सीधे पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग करता दिख रहा है तो भारत ने तुर्किए को स्पष्ट रूप से दो वर्गों में रखा है – मित्र या विरोधी. पाकिस्तान की मदद करने की वजह से तुर्किए को भारतीय जनता का आक्रोश झेलना पड़ रहा है. तुर्किए के खिलाफ सोशल मीडिया पर बहिष्कार मुहिम तेज हो गई है. फिल्म प्रोडक्शन हाउस तुर्किए में शूटिंग से बचने की अपील कर रहे हैं. पर्यटन क्षेत्र में भी तुर्किए को छुट्टियों के गंतव्य के रूप में न चुनने की अपील की जा रही है.