कुछ बच्चों में देर से बोलने की वजह ऑटिज्म या सुनने की कमी होती है। लेकिन जो बच्चे बिल्कुल नॉर्मल होते हैं, उनके दो साल तक ठीक से ना बोल पाने के लिए पैरेंट्स की ये गलतियां जिम्मेदार हो सकती हैं।
काफी सारे बच्चे दो साल के करीब होने लगते हैं लेकिन ठीक तरीके से बोल नहीं पाते। बच्चों के देर से बोलने के पीछे कई बार पैरेंट्स की कुछ गलतियां जिम्मेदार होती है। अगर आपका बच्चा भी अभी दो से तीन महीने का हुआ है। फ्यूचर में इस तरह की गलतियों को ना करें, नहीं तो बच्चे के बोलने की स्किल डेवलप होने में देर लगेगी। जान लें वो कौन सी गलतियां हैं।
सॉलिड फूड की बजाय प्यूरी बनाकर खिलाना
बच्चों को 6 महीने का होने के बाद सॉलिड फूड्स और अनाज से परिचय कराया जाता है। लेकिन काफी सारी मांए बच्चे को प्यूरी बनाकर फल, दाल, अनाज खिलाती है। जिसकी वजह से उसमे काटने, चबाने की मसल्स ठीक तरीके से डेवलप नहीं हो पाती। बच्चा जब खाने को काटता, चबाता है तो उससे जीभ की मसल्स मजबूत होती है। जिससे बोलने की स्किल डेवलप जल्दी होती है।
सिप्पी कप से पानी देना
बच्चे को पानी पिलाने के लिए बहुत सारी मांए सिपर कप का इस्तेमाल करती हैं। जिसमे स्ट्रॉ लगी होती है। इस तरह के सिप्पी कप से पीने की वजह से बच्चे को निगलने वाले प्रोसेस को डेवलप करने के में दिक्कत होती है। जिसकी वजह से बच्चा देर से बोलता भी है।
बच्चे को खुद से जीभ चलाने दें
साफ-सफाई के चक्कर में बच्चे को खिलाने के बाद फौरन मुंह साफ ना करने दें बल्कि बच्चे को जीभ चलाने दें। बच्चे जब अपनी जीभ का इस्तेमाल करते हैं तो उनके तालू का डेवलपमेंट होता है। जिससे फ्यूचर में बोलना उनके लिए आसान हो जाता है।
बच्चे का कब तक बोलना होता है नॉर्मल
सामान्यतौर पर बच्चे जब 11 से 14 महीने की उम्र में पहला शब्द बोलना शुरू कर देते हैं। वहीं डेढ़ साल का होने तक बच्चे को एक दिन में कम से कम 40 शब्द दिनभर में बोलना नॉर्मल होता है। इसके साथ ही बच्चा हर दिन बातचीत को सुनकर कुछ नए शब्द सुनता और उसके बोलने के शब्द बढ़ते जाते हैं।