बिहार बाढ़: नेपाल से लगातार सेन्ट्रल की नदियों में पानी फिर उफान पर आ गया है। 13 नदियों का कंकाल रविवार को लाल निशान को पार कर गया। शांत हो रही गंगा फिर से बढ़ने लगी है। कई दुकानों पर मैकलॉक खतरे के निशान से पार किया जाता है। अगले 24 से 48 घंटों में तेज धमाके का खतरा है।
बिहार बाढ़: नेपाल में लगातार भारी बारिश के कारण कोसी और गंडक समेत प्रदेश की कई नदियां बेहद आक्रामक हो गई हैं और इसी तरह के हमलों पर खतरा बढ़ गया है। रिकार्ड जलस्राव की वजह से रविवार को बगहा में गंडक और मठ के बेलसंड और रूनीसैदपुर में बागमती और शिवहर के पिपरा में बागमती का ढांचा टूट गया। इस स्तर के बड़े इलाके में बाढ़ का पानी फैल गया है और हजारों की आबादी प्रभावित हुई है।
जल संसाधन विभाग दोनों की वॉरस्टार पर चढ़ाई है। हालांकि, गंडक मंदिर के क्षतिग्रस्त होने से नाराज विभाग ने बगहा के बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के डैमॉक मंदिर निशि कुमारकांत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जिला प्रशासन पर समन्वय नहीं बनाने का आरोप है। रविवार की शाम भारी दबाव के कारण बगहा-1 में गंडक नदी के तट पर स्थित ज्वालामुखी मंदिर 4.50 किमी पर क्षतिग्रस्त हो गया। वहीं, बेलसंड खंड के मधकाल गांव में बागमती नदी का बायां हिस्सा 40 मीटर में क्षतिग्रस्त हो गया।
13 नदियाँ लाल निशान पार
नेपाल से लगातार पानी आने से सेंचुरी की नदियों में फिर से उफान आ गया है। 13 नदियों का कंकाल रविवार को लाल निशान को पार कर गया। शांत हो रही गंगा फिर से बढ़ने लगी है। कई दुकानों पर मैकलॉक खतरे के निशान से पार किया जाता है। अगले 24 से 48 घंटों में तेज धमाके का खतरा है।
अगले 24 घंटे में कंक्रीट रिकॉर्ड
जल संसाधन विभाग के रविवार को कोसी और गंडक के अलावा गंगा, बागमती, नर्सरी गंडक, कमला बलान, ललबकिया, अधवारा, महानंदा, घाघरा, लखनदेई, परमान और पश्चिम कनकई नदियों का अवशेष लाल निशान के ऊपर पहुंच गया है। डेक में अब भी पैकेज हो रही है। कोसी सुपौल से खगड़िया तक, गंडक पश्चिम चमचमाता से तेजस्वी तक जबकि महानंदा किशनगंज से तेजी से ऊपर जा रही है। अगले 24 घंटों में इन सभी स्थानों पर नदियों के खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने की संभावना है।
वीरपुर में कोसी बाराज पर भारी दबाव
भारी जलस्राव के बाद कोसी के वीरपुर बराज पर भारी दबाव उत्पन्न हो गया। इसे सुरक्षित रखने के लिए वॉरस्टार पर प्रयास जारी है। असल में, बाराज में पानी की अधिकता के बाद सड़क और इसके गेटों में भारी मात्रा में मलबा समा गया। इससे होने वाले पानी के तूफान में परेशानी लगी। इसके गेटों पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ा। पानी का प्रवाह भी बाधित हो रहा था। हालाँकि जल संसाधन विभाग के विशेषज्ञों ने रविवार की शाम तक निष्कर्ष निकाला। इसके बाद बाराज पर बनी स्ट्रीट पर हाईवे शुरू किया गया।