नेपाल में बारिश थमने से बिहार की गंडक और कोसी नदी का शोक घटने लगता है। अगले 24 से 48 घंटों में स्मोक के काफी नीचे आने की संभावना है। साढ़े चार लाख क्यूसेक से नीचे जल स्तर आ गया है। कोसी के तट पर बसे लोगों ने राहत की सांस ली है।
बिहार के कई बोतलों में बाढ़ के खतरे के बीच एक राहत की खबर है। जीपीएस 72 घंटे जारी नेपाल में अब बारिश जारी है। कुछ इलाक़ों में जंगल हो गया है। जिससे गंडक और कोसी नदी का नरसंहार घटना शुरू हो गई। और प्रस्ताव जारी किए जा रहे हैं, कि अगले 24 से 48 घंटों में नदियों का संकट काफी नीचे रहेगा। दोपहर एक बजे तक गांदर नदी में चार लाख क्यूसेक पानी का संविधान हुआ। गंडक और कोसी के घाटों से तीर्थयात्रियों को राहत की सांस मिलती है।
कोसी के दोनों शिखरों के बीच तटीय जिलों की करीबी आबादी लाख की आबादी घटते-बढ़ते स्वर्ग का शिकार हो रही है। इनमें 5 से 6 फीट तक पानी भर गया है। बाढ़ का पानी सोसायटी में से लोग खटिया, ऑफिस पर कैद हो गए हैं। लगातार कोसी बाराज से 6 लाख क्यूसेक से अधिक की निकासी। बढ़ते पानी के कारण लोका, रुपौली, बिलनडी, धरहरा, बगजान, वीके, सिकरहट्टा पलार, झौहड़ा, मौरा और लगुनिया के लोग पश्चिमी कोशी तट पर शरण ले रहे हैं।
कोसी में बाढ़ के पानी को लेकर भागलपुर के नवगछिया जिले के कई इलाकों में उच्च संभावना है। पहले से कोसी का पानी आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में फैला हुआ था, जिसके कारण कई लोग बांध पर शरण के लिए गए थे। जहां पानी नहीं था, वहां से लोगों के निशाने पर आना शुरू हो जाता है। कई लोग कटरिया रेलवे स्टेशन पर शरण ले रहे हैं। यहां कोसी से समुद्रतटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों की ओर से लोगों से अपील की जा रही है कि लोग सुरक्षित रूप से आगे बढ़ें। वहीं कहलगांव-पीरपैंती इलाके में भी कोसी का भरा हुआ सामान रखा हुआ है।
असली इन एशिया में गंगा का पेय पहले से बेहतर है। इसी क्षेत्र में कोसी गंगा में स्थितियाँ हैं। इसलिए कोसी बराज के सभी बेघर गरीबों के बाद यहां पानी का दबाव और खेती के खतरे से लोग चिंतित हैं। गंगा यहां अभी भी खतरे के निशान से करीब आधा मीटर ऊपर बह रही है। खतरा यह है कि कोसी का पानी बिटकॉइन की पहुंच के बाद इन जिलों में पानी काफी बढ़ जाएगा और भारी तबाही हो सकती है।
इससे पहले कुणाल से किशनगंज और सुपौल से लेकर 20 साल से भी ज्यादा समय पहले से ही इंसुलिन में बाढ़ के हालात पैदा हो गए थे। बस्ती इलाके में तेजी से पानी का घोड़ा भी लगा है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार 13 वर्ष की आयु में करीब 1.41 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। बागमती के लॉज में शनिवार देर शाम से गिरोह में बैरगनिया के रिंग बांध से दो स्थानों पर सामान मिलना शुरू हो गया। उधर, नेपाल के मंशा व धर्मपुर में बागमती का टूटना हुआ। इससे बैरगनिया के लोग भी आकर्षित होते हैं।
शनिवार को रात 12 बजे कोसी में वीरपुर बराज पर 6.02 लाख क्यूसेक जबकि गंडक में वाल्मिकीनगर बराज पर जलस्राव 5.57 लाख क्यूसेक ऊपर पहुंच गया। हालात से जांच के लिए सरकार ने सभी संबंधित परिधानों की पुष्टि कर दी है। जल संसाधन विभाग में वॉर रूम का गठन किया गया है। कोसी में 56 साल बाद जबकि गंडक में 21 साल बाद ऐसा उफान का खतरा है।
कोसी में वर्ष 1968 में 5 अक्टूबर को 7.88 लाख क्यूसेक जल गया था। इसके बाद पहली बार कोसी का जलस्राव 7 लाख के करीब की सीमा पर है। उधर, गंडक का जलस्राव 2003 में 31 जुलाई को 6.39 लाख क्यूसेक था। जल संसाधन विभाग के 24 घंटे में कोसी का मूल्य 6.81 लाख और गंडक का 6 लाख से अधिक हो सकता है।