अहमदाबाद प्लेन क्रैश, अमेरिकी वकील बोले-पायलट को जिम्मेदार ठहराना आसान: बोइंग अपने बचाव में किसी भी हद तक जा सकती है, उसके पास ताकतवर लॉबी

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अहमदाबाद1 घंटे पहलेलेखक: सारथी एम सागर

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बिना कुछ जाने पायलट को दोष देना सही नहीं है। पायलट के परिवार, पीड़ितों के परिवार और बाकी सभी को यह जानने का हक है कि अहमदाबाद में प्लेन क्रैश क्यों और कैसे हुआ। अमेरिका में बोइंग और अन्य विमान बनाने वाली कंपनियां बहुत पावरफुल हैं। उनके पास ताकतवर लॉबी, पीआर और वक्ता हैं। मुझे लगता है कि बोइंग इन सबका इस्तेमाल अपने प्रोडक्ट की सुरक्षा के लिए करेगा और यह तय करेगा कि उसका प्रोडक्ट सुरक्षित रहे।

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यह कहना है अमेरिकी वकील माइक एंड्रयूज का, जो अहमदाबाद प्लेन क्रैश के 65 पीड़ितों के परिवारों की ओर से बोइंग कंपनी के खिलाफ केस लड़ेंगे। इसी मामले में गुजरात पहुंचे एंड्रयूज ने दिव्य भास्कर को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने बोइंग कंपनी पर कई सवाल उठाए हैं और कहा है कि भारत में इस समय जो हो रहा है, उसे सब देख रहे हैं।

दिव्य भास्कर के सवाल और माइक एंड्रयूज के जवाब जानने से पहले एंड्रयूज के बारे में जानिए….

अहमदाबाद प्लेन क्रैश, अमेरिकी वकील बोले-पायलट को जिम्मेदार ठहराना आसान: बोइंग अपने बचाव में किसी भी हद तक जा सकती है, उसके पास ताकतवर लॉबी

सवाल: कितने परिवार कानूनी कार्रवाई में शामिल हुए हैं? क्या ब्रिटिश नागरिक भी इसमें शामिल हैं? जवाब: इस समय हमारे साथ 65 पीड़ित परिवार हैं। इनमें प्लेन के पैसेंजर और जमीन पर मारे गए लोगों के परिवार भी शामिल हैं। ये ब्रिटेन और भारत दोनों के नागरिक हैं। उन्होंने हमारी लॉ फर्म से संपर्क किया है।

सवाल: परिवारों के पास क्या कानूनी विकल्प हैं? जवाब: प्लेन हादसों के कारणों का पता चलने के बाद उन विकल्पों पर निर्णय लिया जाएगा। जैसे अगर बोइंग विमान में कोई खराबी है, तो अमेरिका में बोइंग के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। हो सकता है कि सब-कंपोनेंट मैन्युफैक्चर या सॉफ्टवेयर डेवलपर के साथ कोई समस्या हो। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या क्या है। अगर केवल एअर इंडिया या पायलट की गलती है, तो मामला मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के अनुसार होगा। यह ब्रिटेन या भारत में दर्ज किया जाएगा।

सवाल: अहमदाबाद प्लेन हादसे का असली कारण क्या था? पायलट की गलती, तकनीकी खराबी या कुछ और? जवाब: अभी हम खुले दिमाग से सोच रहे हैं। हमें नहीं पता। हमें लगता है कि अभी कोई भी निर्णय लेना जल्दबाजी होगी।

सवाल: आप सिर्फ बोइंग को ही जिम्मेदार क्यों मानते हैं? एअर इंडिया को क्यों नहीं? जवाब: हम पहले से कोई अनुमान नहीं लगाना चाहते। हमारा कहना है कि सारी जानकारी सामने आनी चाहिए। पूरा फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और वॉयस रिकॉर्डर सामने आना चाहिए। हम बिना किसी अनुमान या निष्कर्ष पर पहुंचे, सिर्फ सबूतों की जांच करना चाहते हैं। इसके लिए फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और वॉयस रिकॉर्डर का डेटा बहुत जरूरी है।

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सवाल: आप बोइंग या अन्य कंपनियों को किन कानूनी आधारों पर जिम्मेदार ठहराएंगे? कानूनी आधार क्या होंगे? जवाब: यह इस बात पर निर्भर करता है कि दुर्घटना किस कारण से हुई। उदाहरण के लिए, इंजन कंट्रोलर सॉफ्टवेयर । अगर समस्या थ्रस्ट कंट्रोल मालफंक्शन एकोमोडेशन सिस्टम में है, तो हम उसके आधार पर निर्णय लेंगे। थ्रस्ट कंट्रोल मालफंक्शन एकोमोडेशन एक सॉफ्टवेयर पैकेज है, जिसे इंजन को तेज गति से चलने से रोकने के लिए डिजाइन किया गया है।

सवाल: जब बोइंग को पता चलेगा कि उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज होने वाला है, तो क्या होगा? जवाब: ऐसी कोई भी घटना किसी भी निर्माण कंपनी के लिए नकारात्मक होती है। इसलिए भारत में इस समय जो कुछ हो रहा है, उस पर पूरी दुनिया की नजर है।

सवाल: क्या आपको लगता है कि बोइंग सच्चाई को दबाने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करेगा? जवाब: अमेरिका में बोइंग और अन्य निर्माता बहुत शक्तिशाली हैं। उनकी एक शक्तिशाली लॉबी है। उनके पास शक्तिशाली पीआर है। उनके पास शक्तिशाली वक्ता हैं। मुझे लगता है कि बोइंग अपने उत्पाद की सुरक्षा के लिए इन सबका इस्तेमाल करेगा। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनका प्रोडक्ट सुरक्षित रहे।

सवाल: पश्चिमी मीडिया बिना किसी सबूत के पायलट को दोषी ठहराने में हमेशा क्यों जल्दबाजी करता है? जवाब: हम लगातार यही कहानी सुन रहे हैं। कई विमान दुर्घटनाओं में पायलट की गलती को दोषी ठहराया जाता है। पायलट किसी भी तरह की गलती कर सकता है और दुर्घटना का कारण बन सकता है। ऐसे मामलों में, तुरंत प्रतिक्रिया देना और पायलट को दोषी ठहराना आसान होता है, क्योंकि वह अपना बचाव नहीं कर सकता। अगर हमें फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर जैसे सबूत मिल जाएं, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि दुर्घटना के समय क्या हुआ था।

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सवाल: हर बार गैर-पश्चिमी या भारतीय पायलटों को ही दोषी क्यों ठहराया जाता है? 2018 के लायन एयर हादसे में भी यही हुआ था। जवाब: अमेरिका के बाहर के पायलटों को दोषी ठहराया जाता है, जो गलत है। हालांकि अहमदाबाद हादसे में कोई अमेरिकी नागरिक नहीं था, फिर भी यह मामला हमारे लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि हर किसी का जीवन महत्वपूर्ण है, चाहे वह अमेरिकी नागरिक हो, ब्रिटिश नागरिक हो या भारतीय नागरिक।

हालांकि पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, फिर भी तुरंत अनुमान लगाना और पायलट को दोष देना जल्दबाजी होगी। हम जानते हैं कि भारत सरकार और एअर इंडिया की कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर तक पहुंच है। उस डेटा में मौजूद जानकारी महत्वपूर्ण और निर्णायक है। जब यह जानकारी विशेषज्ञों और वकीलों के पास उपलब्ध होगी, तो पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।

सवाल: क्या आपको लगता है कि बोइंग के पक्ष में पेड न्यूज चलाई जा रही है? जवाब: बोइंग के लिए पीआर के प्रयास तो होते ही रहते हैं। हमने ऐसा कई बार देखा है कि कई निर्माताओं के लिए, जब कोई नकारात्मक घटना, विफलता या कोई समस्या होती है, तो उसके फेवर में कई अच्छी खबरें आने लगती हैं। लेकिन हमारा ध्यान सबूतों पर है।

सवाल: बोइंग विमानों में कौन-सी खामियां अन्य दुर्घटना मामलों में पहले ही सिद्ध हो चुकी हैं? जवाब: कई खामियां थीं। सबसे पहले मेरे दिमाग में 737 मैक्स विमान आता है, क्योंकि वह अभी-अभी हुआ है। इसके अलावा, हाल ही में एक अनकमांडेड सॉफ्टवेयर इनपुट से जुड़ी एक घटना हुई थी। इस घटना में, विमान में एक समस्या थी। पायलट जो आदेश दे रहा था, वास्तव में उसका उलटा हो रहा था। यानी कि साफतौर पर यह टेक्निकल प्रॉब्लम थी। इसीलिए हम जानना चाहते हैं कि अहमदाबाद दुर्घटना के सबूत क्या कहते हैं। क्योंकि यह संभव है कि फ्लाइट कंट्रोल्स से आने वाले अनकमांडेड इनपुट हादसे के लिए जिम्मेदार हों।

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सवाल: क्या इनमें से कोई भी घटना 787 ड्रीमलाइनर से संबंधित है? जवाब: हा, बोइंग 787 के साथ पहले भी ऐसी ही घटनाएं हुई हैं। हमारी राय में, पिछले 2-3 हफ्तों में बोइंग 787 विमानों से जुड़ी कम से कम 2 घटनाएं बेहद संदिग्ध थीं। 2019 में, जब पेन एयरवेज का बोइंग 787 विमान लैंड हो रहा था, तो फ्लाइट कंट्रोल सॉफ्टवेयर को लगा कि विमान जमीन पर है और सॉफ्टवेयर ने थ्रस्ट कंट्रोल मालफंक्शन एकोमोडेशन सिस्टम (TCMA) चालू कर दिया।

TCMA एक ऐसा सिस्टम है, जो इंजन के पावर को खुद ही नियंत्रित कर सकता है। इसी सिस्टम ने इंजन की पावर कट कर दी थी। जबकि, इस समय विमान उड़ान नहीं भर रहा था। बल्कि जमीन पर उतर रहा था। इसलिए यह तेजी से रनवे के अंत तक पहुंच गया।

इसके अलावा 25 जुलाई को डलास हवाई अड्डे से म्यूनिख जा रही बोइंग 787 उड़ान के एक इंजन में उड़ान भरने के बाद ही बिजली चली गई थी। पायलट ने ‘मेडे’ कॉल जारी किया था। इसके बाद प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी थी।

सवाल: बोइंग एक बहुत बड़ी कंपनी है। अगर आप इसके सॉफ्टवेयर पर जोर देते हैं, तो कंपनी अपने सॉफ्टवेयर में सुधार क्यों नहीं करती? जवाब: यह एक बेहतरीन सवाल है। अक्सर सॉफ्टवेयर में बग्स होते हैं, गड़बड़ियां होती हैं तो कई बार समस्या का पता तब तक नहीं चलता, जब तक वह फील्ड में न हो। कंपनी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल इसलिए करती है, क्योंकि उसका सही तरीके से परीक्षण किया गया होता है। दुर्घटनाएं कम ही होती हैं। खराब सॉफ्टवेयर और खराब सिस्टम जारी होने के पीछे कई कारण होते हैं। मेरा हमेशा से मानना है कि किसी भी सिस्टम को सार्वजनिक इस्तेमाल में लाने से पहले उसका टेस्ट किया जाना चाहिए।

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सवाल: क्या आपको फ्लाइट रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर डेटा प्राप्त हुआ है, जिसका आपने पहले अनुरोध किया था? जवाब: हां, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर कोर्ट के आदेश के जरिए प्राप्त किए जा सकते हैं। कभी-कभी यह डेटा तब तक जारी नहीं किया जाता, जब तक कि कंपनी के खिलाफ केस दर्ज नहीं हो जाता।

सवाल: क्या आपने मुकदमा लड़ने से पहले उनसे डेटा मांगा था? जवाब: हां, मैं हमेशा ही मांगता हूं, लेकिन वे कभी खुद डेटा नहीं देते, जब तक केस दर्ज न हो जाए।

सवाल: इस मामले में अमेरिकी और ब्रिटिश कानूनी व्यवस्थाओं को शामिल करना क्यों जरूरी है? जवाब: अमेरिकी कानूनों को लागू करना बेहद जरूरी है। जिस मेन्यूफैक्चरर कंपनी ने डिफेक्टिव इक्विपमेंट या डिफेक्टिव प्रोडक्ट्स बनाए और बेचे हैं, वह पूरी कंपनी के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में, अगर विमान में कोई खराबी है तो बोइंग और अन्य कंपनियां (चाहे वे कोई भी हों) को अमेरिका आकर मामले का सामना करना होगा।

सवाल: आप किस अमेरिकी अदालत में मामला दायर करने पर विचार कर रहे हैं? जवाब: आमतौर पर, फेडरल कोर्ट और होम स्टेट प्राइमरी डिफेनडेंट का ऑप्शन होता है। इस मामले में, अगर बोइंग अपना हेटक्वॉर्टर इलिनोय से शिफ्ट करता है, तो मुकदमा संभवतः वर्जीनिया की फेडरल कोर्ट में दायर किया जाएगा।

सवाल: ऐसे अंतरराष्ट्रीय विमानन मामलों में न्याय मिलने में आमतौर पर कितना समय लगता है? जवाब: मुझे लगता है कि एएआईबी को अन्य जांच एजेंसियों के साथ मिलकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने में करीब एक साल का समय लग जाएगा। तभी हम यह स्पष्ट कर पाएंगे कि बोइंग या उपकरण कंपनी के खिलाफ दावा दायर किया जाए या नहीं।

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सवाल: क्या आप दुर्घटनास्थल पर गए हैं? जवाब: हां, हम वहां गए और काफी देर तक रुके। हमने वहां मौजूद कुछ लोगों और पीड़ितों के परिवारों से भी बातचीत की। दुर्घटनास्थल पर जाने से आपको यह महसूस करने का मौका मिलता है कि उस समय वास्तव में क्या हुआ था। हम तस्वीरें और वीडियो देखते हैं, लेकिन जब तक हम घटनास्थल पर नहीं जाते तो पूरी बात अच्छे तरीसे से नहीं समझ पाते हैं।

सवाल: क्या आप गुजरात में पीड़ितों के भारतीय और ब्रिटिश परिवारों से व्यक्तिगत रूप से मिले हैं? जवाब: भारत और ब्रिटेन के परिवारों ने हमसे संपर्क किया है। हमसे संपर्क करने वाले सभी परिवार जवाब चाहते हैं। वे परिवार जानना चाहते हैं कि क्या हुआ? ऐसा क्यों हुआ? वे हमारे पास इसलिए आए हैं, ताकि उन्हें पूरी जानकारी मिल सके। वे परिवार एअर इंडिया और सरकार से पारदर्शिता चाहते हैं।

हम चाहते हैं कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर सार्वजनिक किए जाएं। अगर जनता के लिए नहीं, तो कम से कम उन वकीलों के लिए जो इस मामले पर काम कर रहे हैं। क्योंकि उस डेटा में दुर्घटना के समय वास्तव में क्या हुआ था, इसकी संवेदनशील जानकारी है।

प्रभावित हर परिवार मदद की गुहार लगा रहे हैं। यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर हुआ क्या था? पीड़ित परिवार जानना चाहते हैं कि इस त्रासदी के लिए कौन जिम्मेदार है? ऐसा किसी और के साथ न हो। इसके लिए क्या किया जा सकता है?

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सवाल: पश्चिमी मीडिया अब एअर इंडिया और पायलटों पर उंगली उठा रहे? जवाब: हां, बोइंग और कई पश्चिमी मीडिया अब एअर इंडिया और पायलटों पर उंगली उठा रहे हैं। हमने स्विच के बारे में चर्चा सुनी है। लेकिन कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से केवल कुछ ही जानकारी सामने आई है, जिसमें दूसरा पायलट कह रहा है कि मैंने स्विच बंद नहीं किया था। इसलिए जब तक हमें पता नहीं चलता कि वास्तव में क्या हुआ था।

सवाल: लायन क्रैश और इथियोपियाई 302 के हादसों से क्या सबक मिले हैं, जिन्हें भविष्य में होने वाली आपदाओं को रोकने के लिए लागू किया जा सकता है? जवाब: ऐसी घटनाओं से यही सबक मिलता है कि पारदर्शिता बहुत जरूरी है। यह जानना जरूरी है कि क्या हुआ, क्यों हुआ। ऐसी जानकारी सामने आने के बाद ही किसी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शुरुआत से ही सब कुछ जानना जरूरी है।

सवाल: दुर्घटनाओं से कोई सबक क्यों नहीं लेता? जवाब: इसके कई कारण हैं। दुर्घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। यह भी एक सच्चाई है। उपकरण खराब हो सकते हैं। कभी-कभी परीक्षण में समस्याएं भी आ सकती हैं। आमतौर पर बिजनेस में चीजों को किफायती बनाने पर ही ध्यान केंद्रित किया जाता है। कभी-कभी कंपनियां ऐसी लागत कम कर देती हैं, जिनमें कि वास्तव में कटौती नहीं की जानी चाहिए। ऐसे मामलों में, सुरक्षा से समझौता हो सकता है।

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अहमदाबाद प्लेन हादसे में 270 लोगों की जान गई 12 जून को दोपहर 1.38 बजे अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भरने वाला एअर इंडिया का विमान 171 (बोइंग 787 ड्रीमलाइनर) मेघाणीनगर में आईजीपी कंपाउंड में क्रैश हो गया था। विमान में 12 क्रू मेंबर समेत 242 लोग सवार थे। 230 यात्रियों में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक समेत कुल 230 यात्री सवार थे।

हादसे में रमेश विश्वास नाम का एक व्यक्ति चमत्कारिक रूप से बच गया। जबकि 241 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा, डॉक्टर्स हॉस्टल अतुलयम, जहां विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, के एक इंटर्न डॉक्टर, कर्मचारी और स्थानीय लोग मारे गए। इस तरह कुल मृतकों की संख्या 270 हो गई। हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया है।

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गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया प्लेन क्रैश में 100 से ज्यादा यात्री मारे गए हैं। अहमदाबाद से लंदन जा रहे विमान में 242 यात्री सवार थे। हादसे के बाद पूरे इलाके में धुएं का गुबार दिखाई दिया। (पूरा हादसा देखने के लिए क्लिक करें)

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