जुंडला गेट मंदिर में पंच धूणों के बीच तपस्या करते महंत प्रह्लाद गिरी महाराज।
करनाल जिले के जुंडला गेट के पास स्थित मंदिर में महंत प्रह्लाद गिरी महाराज पंच धूणी के बीच बैठकर एक महीने की कठिन तपस्या कर रहे हैं। तपस्या का उद्देश्य विश्व शांति और कल्याण बताया गया है। यह तपस्या हर वर्ष गंगा दशहरे तक चलती है और इस बार यह 5 जून तक च
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मंदिर परिसर को साधना स्थल बनाया
पहले यह तपस्या वे गांव कुटेल में करते थे, लेकिन पिछले दो वर्षों से उन्होंने जुंडला गेट मंदिर परिसर को साधना स्थल बनाया है। तपस्या की परंपरा मंगलवार से शुरू हुई है और इसमें हर दिन दोपहर 12 बजे से सवा दो बजे तक अग्नि के बीच बैठकर ध्यान किया जाता है।
मंदिर में श्रद्धालुओं की परिक्रमा के लिए लगी लाइन।
पंच धूणी की गर्मी के बीच राख का लेप
तपस्या शुरू होने से पहले बाबा के पूरे शरीर और जटाओं पर गीली राख का लेप किया जाता है, ताकि अत्यधिक गर्मी और अग्नि की लपटों को सहन किया जा सके। साथ ही मंदिर में शंख और घंटों की ध्वनि गूंजती है, जो वातावरण को पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है। पंच धूणी का अर्थ होता है पांच स्थानों पर जलाई गई अग्नि, जिनके बीच तपस्वी बैठता है। यह तपस्या की एक अत्यंत कठिन और समर्पण पूर्ण विधा मानी जाती है।
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, कर रहे परिक्रमा
तपस्या की जानकारी मिलने के बाद करनाल और आसपास के गांवों से श्रद्धालु जुंडला गेट मंदिर पहुंच रहे हैं। वे बाबा के चरणों में मत्था टेककर आशीर्वाद लेते हैं और पंच धूणी की परिक्रमा करते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती।