सिख समाज की श्री गुरु तेग बहादुर साहब की 350वीं शहीदी शताब्दी को समर्पित ‘शहीदी जाग्रति यात्रा’ नगर कीर्तन 16 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे उज्जैन नगर में प्रवेश करेगी। इस यात्रा में 50 फीट लंबी पालकी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के साथ 50 वाहनों में लगभग 500
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गुरु नानक घाट गुरुद्वारा के प्रमुख बाबा त्रिलोचन सिंह, बाबा कश्मीर सिंह और सुखविंदर सिंह ने बताया कि यह यात्रा सिखों के नवम गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहब, भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला के 350वें शताब्दी शहीदी पर्व को समर्पित है। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा दूध तलाई के अध्यक्ष इकबाल सिंह गांधी ने जानकारी दी कि यह यात्रा धोबड़ी साहिब, असम से शुरू होकर महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और दिल्ली से होते हुए नवंबर में पंजाब के तख्त श्री आनंदपुर साहिब में संपन्न होगी।
गुरु तेग बहादुर साहब
यात्रा का मुख्य उद्देश्य गुरु साहिबान के बलिदान और शांति के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है। चरणजीत सिंह कालरा ने बताया कि कीर्तन यात्रा इंदौर रोड प्रशांति धाम, नानाखेड़ा, दो तालाब, तीन बत्ती चौराहा, टावर चौक, चामुंडा माता चौराहा, देवास गेट, रेलवे स्टेशन, इंदौर गेट, दौलतगंज चौराहा, नई सड़क, निकास चौराहा, पटेल नगर, अंकपत मार्ग, पिपली नाका चौराहा और बड़े पुल होते हुए दोपहर 1 बजे गुरुद्वारा गुरुनानक घाट शिप्रा तट पहुंचेगी। यहाँ गुरु के अटूट लंगर का आयोजन होगा।
सिख समाज के संभागीय प्रवक्ता एसएस नारंग ने गुरु तेग बहादुर के बलिदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि नवंबर 1675 ई. में कश्मीरी पंडितों का एक जत्था पंडित कृपाराम के नेतृत्व में गुरु तेग बहादुर से मिला था। उन्होंने कश्मीर में औरंगजेब के धार्मिक अत्याचारों का विवरण दिया। गुरुजी ने कश्मीरी पंडितों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए औरंगजेब की कट्टरता का विरोध करते हुए दिल्ली के चांदनी चौक में अपना शीश कटवाकर शहादत दी थी।