महासमुंद जेल में आदिवासी युवक की मौत पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला जेल में 29 वर्षीय आदिवासी युवक की संदिग्ध मौत पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इसे हिरासत में मौत का मामला मानते हुए राज्य शासन से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
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केस की अगली सुनवाई जून के अंतिम सप्ताह में होगी। जनहित याचिका में बताया गया है कि पीएम रिपोर्ट में गला दबाने और मृतक के शरीर पर 35 जख्मों के निशान का जिक्र है।
मृतक के शरीर में नहीं थे निशान
दरअसल, महासमुंद जिले के ग्राम पिपरौद निवासी नीरज भोई को 12 अगस्त 2024 को भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 और 3(5) के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद शाम को महासमुंद जिला जेल में भेज दिया गया।
जेल ले जाते समय उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया था। तब उसके शरीर में किसी तरह के जख्म के निशान नहीं थे। हालांकि, उसे अवसादग्रस्त (डिप्रेशन) और शराब का आदी बताया गया था। इस बीच 15 अगस्त की सुबह नीरज को गंभीर हालत में सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत बता दिया।
जेल में असामान्य व्यवहार पर इलाज का दावा
इधर, जेल के डॉक्टर संजय दवे की रिपोर्ट के अनुसार वह नशे के कारण जेल में असामान्य व्यवहार करने लगा था, जिसके चलते उसे जेल अस्पताल में दवा दी गई, पर कोई लाभ नहीं हुआ। 15 अगस्त की सुबह नीरज को गंभीर हालत में सरकारी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
जेल में प्रताड़ना देने का आरोप, कार्रवाई और मुआवजे की मांग
बंदी की मौत को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें बताया गया है कि बंदी का मेडिकल परीक्षण में उसे डिप्रेशन और क्रोनिक एल्कोहलिक का मरीज बताया गया था। नशे का आदि होने के कारण दूसरे दिन से वह असामान्य व्यवहार करने लगा था।
अन्य कैदियों पर थूकने और काटने लगा था। जेल के डॉक्टर के मुताबिक, विड्राल सिम्पटम्स होने से यह सब करने लगा था। याचिका में बताया गया है कि उसे जेल में यातना दी गई।
मानसिक रोगी बताकर उसे लोहे के गेट से बांधकर खुले में छोड़ दिया गया। उसका इलाज कराने के बजाय शारीरिक रूप से प्रताड़ना दी गई, जिसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर मृतक परिवार को मुआवजा दिलाने की मांग की गई है।
पीएम रिपोर्ट में गला दबाने और 35 जख्मों के निशान बताए
शुरुआत में इसे नशा छोड़ने के लक्षणों (विड्राल सिम्पटम्स) से हुई मौत बताया गया, लेकिन बाद में शिकायतों के आधार पर जब मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराई गई। तब पता 17 अगस्त 2024 को पोस्टमार्टम कराया गया, जिसकी रिपोर्ट ने मामले को नया मोड़ दे दिया।
मेडिकल टीम की रिपोर्ट के मुताबिक, नीरज की मौत गला दबाने से हुई थी और उसके शरीर पर 35 जख्मों के निशान थे, जिनमें से 8 आंतरिक थीं और घातक साबित हुईं। यह भी स्पष्ट हुआ कि 12 अगस्त को गिरफ्तारी के वक्त उसके शरीर पर कोई चोट नहीं थी।