फ़्रांसीसी अविवेक मुक्तेश्वरानंद ने कहा कि आश्रम की घटना के अनुयायियों का कहना है कि धर्म स्थल से अतिक्रमण का हस्तक्षेप समाप्त हो गया है। सनातन धर्म के सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर संस्था धर्म स्थान में अचल है तो यही परिणाम होगा।
ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु पितृ अविमुक्तेश्वरानंद ने शुक्रवार को जापान में बड़ा बयान देते हुए कहा कि बहुमत जो कहेगा, अल्पमत को स्वीकार करना होगा, साथ ही उन्होंने कहा कि इस देश में समलैंगिक की हत्या नहीं हो सकती। वहीं सुसंगत बालाजी प्रसादम चर्बी व तेल होने के मामले को लेकर उन्होंने पुरातत्व में मठों के प्रसाद की उत्पत्ति की बात भी कही।
मीडिया से बात करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘हमारा अपना विश्वास है, हमारी आस्था है, हमारी अपनी परंपरा है, हम उसके लचीलेपन हैं। यदि कोई हमारे साथ एडजस्ट कर सकता है, तो हम भी एडजस्ट कर सकते हैं। लेकिन हमारे देश के खिलाफ हमारी भावना कोई काम नहीं कर सकती।
आगे उन्होंने कहा, बहुमत जो कहेगा, इस देश के अल्पमत को स्वीकार करना होगा। ये गजब की बात हो गई, कि जब सरकार बनेगी तो बहुमत दिखेगा और जब कानून लागू होगा तो अल्पमत को देखा जाएगा, कि अल्पसंख्यक क्या चाहेंगे। अरे अल्पसंख्य कुछ पूर्णिमा, बहुसंख्यक जो फिरगा वह इस देश में होगा और इस देश में बहुसंख्यक हिंदू हैं। ‘गाय के वध के खिलाफ हैं बहुसंख्यक इस देश में, इसलिए गाय की पूजा होगी इस देश में, गाय की हत्या इस देश में नहीं हो सकती।’
साथ ही बालाजी मंदिर के प्रसाद स्वरूप मिलने वाले लोध में मठ की चर्बी और मछली का तेल होने की खबरें लेकर आए वे बेहद प्रतिभाशाली हैं। इस मामले में सरकार ने ढांचे पर जोर देते हुए इसे सरकार की विविधता का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि आस्था के प्रसाद में अपवित्र घटक का मिश्रण संपूर्ण हिंदू समुदाय के प्रति अपराध है, इस मामले में उन्होंने केश की मांग की अदालत में गिरफ्तारी की अपील की। साथ ही उन्होंने एक बड़ी समिति को चकमा देते हुए कहा कि विश्वास को कड़ी सजा देने की भी मांग की गई है।
इस मामले का खुलासा करते हुए विपक्ष ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को भी बधाई दी और कहा कि अगर आरोप में सच्चाई नहीं होती तो अब तक नायडू का कार्यकाल समाप्त हो जाता। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर सनातन धर्म के सभी मंदिर धार्मिक स्थल में हैं तो यही परिणाम होंगे। आस्था की घटना के सिद्धांतों का सिद्धांत यह है कि धर्म स्थल से मोक्ष का हस्तक्षेप समाप्त हो जाए।