कन्हैया हरितवाल | जयपुर छोटी चौपड़ स्थित मंदिर श्री सीतारामजी में एक परिवार पीढ़ियों से ठाकुरजी को रोजाना कथा सुना रहे हैं। करीब 280 साल पहले जयपुर नरेश सवाई जयसिंह ने मंदिर में व्यास परिवार के बाला बक्सी महाराज से ठाकुरजी को कथा सुनवानी शुरू करवाई थ
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चौथी पीढ़ी से रामसहाय व्यास 12 वर्ष की उम्र में ही ठाकुरजी को कथा सुनाने लग गए थे और 60 साल तक कथा का वाचन किया। वर्तमान में व्यास पीठ की 5वीं पीढ़ी से रमेश चंद्र व्यास रोजाना कथा सुना रहे हैं। इनकी अनुपस्थिति में छठवीं पीढ़ी से आशीष व्यास व 7वीं पीढ़ी से आराध्य व्यास कथा सुनाने मंदिर जाते हैं। प्राचीन काल में मंदिरों में धर्म के संरक्षण व जन मानस में ज्ञान की वृद्धि के लिए कथा वाचन शुरू करवाया गया था।
भगवान के दाहिनी ओर बैठकर सुनाते हैं 1 घंटा कथा
मंदिर के गर्भगृह में विराजमान भगवान के सामने स्थित जगमोहन में दाहिनी ओर बैठकर कथा सुनाई जाती है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि राजसभा में सिंहासन पर बैठे भगवान अपने दाहिने कान से कथा महिमा श्रवण करते हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान राम को गुरू वशिष्ठ ने भी दाहिने ओर बैठकर ही कथा सुनाई थी।
ब्रह्मपुराण की कथा व वैशाख मास महात्म्य का हो रहा है वाचन
अभी ब्रह्मपुराण की कथा व वैशाख मास महात्म्य का वाचन किया जा रहा है। रोजाना सवा दस बजे से सवा ग्यारह बजे तक कथा सुनाते हैं। इसके अलावा विशेष पर्वों पर एकादशी, प्रदोष व पूर्णिमा की कथा सुनाते हैं। पुराणों के अलावा रामकथा, महाभारत भी सुनाते हैं। प्रत्येक मास में मास महात्म्य कथा का वाचन करते हैं।
कथा के लिए राजा ने व्यास परिवार को आमेर से लेकर आए थे जयपुर, दी थी हवेली आशीष व्यास ने बताया कि हमारे पूर्वज आमेर में निवास करते थे। सवाई जयसिंह ने जयपुर बसाने के बाद आमेर से व्यास परिवार को जयपुर लेकर आ गए। राजा की ओर से ही व्यास परिवार को रहने के लिए मिस्त्री खाना रोड बोरड़ी के कुएं का रास्ता पर सात चौक की हवेली (व्यास भवन) दी गई थी। नाटाणी परिवार ने छोटी चौपड़ पर 296 साल पहले सीतारामजी का मंदिर निर्माण करवाया था। राज-घराने ने व्यास परिवार को इस मंदिर में कथा करने के लिए व्यास गद्दी पर आसीन किया। तभी से निरंतर कथा सुनाई जा रही है।