Holika Dahan: होलिका दहन और होली को लेकर लोगों में बहुती ही कंफ्यूजन की स्थिति है. होलिका दहन को लेकर मिथिला व बनारस दोनों ही पंचांग में 13 मार्च गुरुवार को बताया गया है.
होलिका धीरे -धीरे: होली को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है, लेकिन होलिका दहन को लेकर मिथिला व बनारस दोनों ही पंचांग में 13 मार्च गुरुवार को बताया गया है. फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा दो दिन होने से होलिका दहन के एक दिन बाद होली का पर्व मनाया जायेगा. फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च को व स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च को होगी. फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10:11 बजे से शुरू हो रही है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है. भद्रा गुरुवार की रात 10:47 बजे तक रहेगी. वहीं 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11:22 बजे तक ही है.
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में 13 को होलिका दहन
पंडित राकेश झा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में तीन नियम बतलाये गये हैं. पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल व तीसरा रात्रि का समय होना चाहिए. भद्रा में श्रावणी कर्म एवं फाल्गुनी कर्म वर्जित हैं. 13 मार्च की रात में पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी व भद्रा भी रात 10:47 बजे खत्म हो जायेगी. इसीलिए 13 मार्च को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन होगा. वहीं शुक्रवार 14 मार्च को सूर्योदयकालीन पूर्णिमा, स्नान-दान की पूर्णिमा, कुलदेवता को सिन्दूरार्पण किया जायेगा.पंडित राकेश झा ने कहा कि रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाया जाता है. प्रेम, सौहार्द, भाईचारा का प्रतीक व रंगों का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च को मनायी जायेगी. इस दिन दो शुभ नक्षत्रों का युग्म संयोग रहेगा. होली के दिन सुबह 7:46 बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र फिर हस्त पूरे दिन विद्यमान रहेगा. इस दिन दोपहर 12:55 बजे के बाद वृद्धि योग भी रहेगा.
राशि के अनुसार होलिका पूजन
- मेष व वृश्चिक- गुड़ की आहुति दें
- वृष राशि- चीनी की आहुति दें
- मिथुन व कन्या- कर्पूर की आहुति दें
- कर्क – लोहबान की आहुति दें
- सिंह राशि- गुड़ की आहुति दें
- तुला राशि- कर्पूर की आहुति दें
- धनु व मीन- जौ और चना की आहुति दें
- मकर व कुंभ- तिल को होलिका दहन में डालें
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