सैटेलाइट सर्विस
TRAI ने भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए नई सिफारिश की है। दूरसंचार नियामक की ये सिफारिश उस समय आई है, जब सरकार ने एलन मस्क की कंपनी Starlink को भारत में सर्विस के लिए आशय पत्र दिया है। ट्राई की ये नई सिफारिश स्टारलिंक के अलावा एयरटेल, जियो और अमेजन कूयिपर के लिए है।
5 साल के लिए स्पेक्ट्रम अलोकेशन
दूरसंचार नियामक ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सर्विस प्रोवाइडर्स को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम केवल 5 साल के लिए अलोकेट किया जाना चाहिए। इसके बाद मार्केट कंडीशन को देखते हुए 2 और साल के लिए एक्सटेंड करना चाहिए। TRAI ने अपनी सिफारिश में यह भी कहा, टेलीकॉम ऑपरेटरों से भूस्थैतिक कक्षा-आधारित स्थिर उपग्रह सेवाओं और मोबाइल उपग्रह सेवाओं के लिए उनके समायोजित सकल राजस्व का चार प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा। हालांकि, यह मिनिमम स्पेक्ट्रम चार्ज 3,500 प्रति MHz होना चाहिए।
वहीं, नॉन भूस्थैतिक कक्षा-आधारित स्थिर उपग्रह सेवाओं पर प्रति सब्सक्राइबर प्रति वर्ष के लिए अतिरिक्त 500 रुपये चार्ज करना चाहिए। एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भारत में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस लॉन्च करने के लिए तैयार है। पिछले दिनों मस्क ने सरकार से आग्रह किया है कि 20 साल के लिए स्पेक्ट्रम अलोकेट किया जाना चाहिए। यह अलोकेशन अफोर्डेबल प्राइसिंग और लंबे समय वाले बिजनेस प्लान केलिए होना चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्राई ने लाइसेंस टाइम फ्रेम कम वाली मांग को मान ली है। सेक्टर के ग्रोथ के बाद ही इस पर आगे विचार किया जाएगा। इससे पहले स्टारलिंक ने भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के साथ अपने डिवाइस और सर्विस के लिए साझेदारी की है। स्टारलिंक के डिवाइस एयरटेल और रिलायंस के स्टोर पर भारत में बेचे जाएंगे।
भारत में सैटेलाइट सर्विस लॉन्च करने से पहले सर्विस प्रोवाइडर्स को दूरसंचार विभाग की तरफ से जोड़े गए नए शर्तों को मानना होगा, जिसमें वेबसाइट ब्लॉकिंग और कानूनी सर्विलांस समेत कई और सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने वाले नियमों को मानना होगा। सैटेलाइट सर्विस के लिए दूरसंचार विभाग ने 29 से 30 नए सुरक्षा मापदंडों को जोड़ा है। नए नियम के तहत दूरसंचार विभाग ने सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 50 किलोमीटर के दायरे में स्पेशल सर्विलांस जोन बनाने का प्रावधान रखा है।
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